Monday, 23 January 2017

नेताजी सुभाषचंद्र

खून नहीं, वो पानी है
           जिसमे न कोई रवानी हैं।
जो गर्दन झुका के जीता है
            उसका जीना बेमानी हैं।

नेताजी का जीवन कहानी हैं,
       उनका नारा स्वाभिमानी हैं
वो आज़ादी का स्वर भरता था
     खून मांगना उसकी निशानी हैं।

वो राजनीती का बादशाह था,
  उसकी विश्व पटल पर धाक थी।
भारत माँ की सेवा ध्येय था,
       नई युवा सोच पहचान थी।

नया जोश था नई सोच थी,
     पूरा भारत उसके पीछे था।
युवा देश का उसके पीछे,
     सर कफ़न बांधकर फिरता था।

हिन्दू हो, या सिख या मुस्लिम,
     आज़ाद हिंद का सिपाही था।
देश की आज़ादी की खातिर,
      सुभाष के संग इंकलाबी था।

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