गुम थे, गुम है अब भी
गुमशुदा, हम ग़मज़दा हैं
आपकी गुमशुदगी में, ख़ौफ़ज़दा है
गुम आपके रहने की शिकायत, कल भी थी और आज भी है।
पर दर्द का मिजाज बढ़ गया है,
आज सब है, पर सुकून का आलम नहीं
आज सब है, पर आपकी छाया का छाता ही नहीं
मेरे लिए सोचने का अंदाज़ अब बदला,
सब है नया सा, ये एहसास मुझे नम सा करता है आज भी
गुमशुदा, हम ग़मज़दा हैं
आपकी गुमशुदगी में, ख़ौफ़ज़दा है
गुम आपके रहने की शिकायत, कल भी थी और आज भी है।
पर दर्द का मिजाज बढ़ गया है,
आज सब है, पर सुकून का आलम नहीं
आज सब है, पर आपकी छाया का छाता ही नहीं
मेरे लिए सोचने का अंदाज़ अब बदला,
सब है नया सा, ये एहसास मुझे नम सा करता है आज भी
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