महेंद्र सिंह धोनी ने जब
चार दिसंबर को भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी छोड़ने की घोषणा की तब जहाँ उसके सारे
प्रशंसक निराश हुए वही सभी क्रिकेट के पंडितों ने उनके इस निर्णय का स्वागत
किया. महेंद्र सिंह धोनी ने भारतीय क्रिकेट को एक नई ऊंचाई तक
पहुंचाया. धोनी की कप्तानी में भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए वर्ल्ड कप में कई
बड़े टूर्नामेंट जीते. एक खिलाड़ी के रूप में भी धोनी ने शानदार प्रदर्शन किया.
धोनी विगत दस वर्षों से भारतीय क्रिकेट टीम का पर्याय रहे है. धोनी ने जिस शांति
एवं दृढ़ता के साथ अपने अच्छे प्रदर्शन के पलों में अचानक भारतीय क्रिकेट टीम की
कप्तानी से अलविदा कहकर यकायक सभी को स्तब्ध किया है लेकिन धोनी
अपने ऐसे निर्णयों के लिए सदा से जाने जाते है. धोनी का पहले टी-20 क्रिकेट विश्व कप फाइनल मैच में
अंतिम ओवर जोगिन्दर शर्मा जैसे नवोदित गेंदबाज को देने का निर्णय सहज नहीं था.
लेकिन उस निर्णय का परिणाम सभी भारतीयों एवं क्रिकेट प्रेमिओं के हृदय एवं
मस्तिष्क पर सदैव अमिट एवं ताजा बना रहेगा.
एकदिवसीय मैचों में धोनी का औसत
50 से भी ज्यादा रहा. एक कप्तान के रूप में उनका बल्ला खूब बोला. कप्तान के रूप में
धोनी ने करीब 54 की औसत से रन बनाए. विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में एकदिवसीय मैच में
सबसे ज्यादा 183 व्यक्तिगत स्कोर बनाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया, लेकिन इस साहसिक
क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी का करियर जीरो से शुरू हुआ. सिर्फ एकदिवसीय नहीं बल्कि
टी-20, वर्ल्ड कप जैसे मैचों में धोनी अपने पहले मैच में जीरो पर आउट हुए थे और कप्तान
के रूप में भी अपने पहले वर्ल्ड कप मैच में धोनी को बल्लेबाजी करने का मौक़ा नहीं मिला
था.
23 दिसंबर 2004 को बांग्लादेश के खिलाफ सौरभ गांगुली की कप्तानी में महेंद्र सिंह
धोनी ने अपना एकदिवसीय करियर शुरू किया. इस मैच में भारत ने पहले
बल्लेबाजी की और इस मैच में महेंद्र सिंह धोनी सातवें स्थान पर बल्लेबाजी करने आए थे.
इस मैच में धोनी बिना कोई गेंद खेले रन आउट हो गए थे. धोनी इस मैच में इस तरह शून्य पर आउट हुए थे.
सिर्फ एकदिवसीय मैच ही नहीं
अपने टी-20 करियर के पहले मैच में भी महेंद्र सिंह धोनी जीरो पर आउट हुए थे.1 दिसंबर
2006 को महेंद्र सिंह धोनी ने अपने टी-20 करियर का पहला मैच वीरेंद्र सहवाग की कप्तानी
में साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेला था. इस मैच में धोनी दो गेंद का सामना करते हुए बिना
कोई रन बनाए पैवेलियन लौटे थे. हालाँकि इस मैच को भारत ने छह विकेट से जीत लिया था.
यह सिलसिला यहीं ख़त्म नहीं हुआ, वरन राहुल द्रविड़ की कप्तानी में धोनी
ने अपने करियर का पहला वर्ल्ड कप मैच 17 मार्च 2007 को बांग्लादेश के खिलाफ खेलते हुए भी धोनी बिना खाता खोले
आउट हो गए. धोनी सिर्फ तीन गेंदों का सामना करके बिना कोई रन नहीं बनाये आउट हो गए. भारत
इस मैच को पांच विकेट से हार गया था.
तत्पश्चात, महेंद्र सिंह
धोनी को कप्तान के रूप में अपने पहले एकदिवसीय मैच और कप्तान के रूप में पहले वर्ल्ड
कप मैच में बल्लेबाजी करने का मौका तक नहीं मिला. कप्तान के रूप में धोनी ने अपना पहला
मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 29 सिंतबर 2007 को खेला, जिसमे ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी
करते हुए 307 रन बनाए थे. जब टीम इंडिया जबावी बल्लेबाजी करने उतरी, तब तेज बारिश शुरू
हो गई और मैच रद्द करना पड़ा. धोनी को बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिला था.
19 फरवरी 2011 को कप्तान के रूप में धोनी ने अपना
पहला वर्ल्ड कप मैच बांग्लादेश के खिलाफ खेला. इस मैच में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते
हुए वीरेंद्र सहवाग ने शानदार 170 रन की बदौलत 370 रन बनाए थे.
लेकिन धोनी को बल्लेबाजी करने का मौक़ा नहीं मिला था. भारत ने इस मैच को 87 रन से जीता
था. कप्तान के रूप में धोनी के पहला टी 20 मैच भी बारिश की वजह
से रद्द हो गया था.
इस सब के बावजूद भी महेंद्र सिंह धोनी अभी तक के भारतीय क्रिकेट
के इतिहास का सर्वश्रेष्ठ कप्तान रहे हैं. भारतीय कप्तान के रूप में धोनी ने भारतीय
टीम के फर्श से अर्श पर ले जाने में अहम् भूमिका निभायी है. धोनी ने आज भी भारतीय
क्रिकेट टीम को सर्वश्रेष्ठ स्थान पर ले जाकर भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी छोड़ने
का निर्णय लिया है. यह निर्णय भी भारतीय टीम की हित में लिया हुआ उनका मास्टर स्ट्रोक
की तरह हैं. नए कप्तान के रूप में विराट कोहली पर महती जिम्मेदारियां है लेकिन
सुखद बात यह है की धोनी के रूप में भारतीय क्रिकेट टीम का सर्वश्रेष्ठ पूर्व
कप्तान एक खिलाडी के रूप में टीम का हिस्सा रह कर उन्हें और परिपक्वता देगा और
उनमे भी एक और श्रेष्ठतम कप्तान के बीज
आरोपित करेगा.
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