Tuesday, 23 May 2017

मिलनसार

एक वृद्ध लंगड़ाते हुए अपनी दुकान की तरफ बढ़े चले जाते थे।थोड़ा हाँफते हुए , थोड़े थोडे अंतराल पर बैठते बैठाते अपना रास्ता नाप लेते थे। उनके भाई का बेटा राजु रोज उनके समानान्तर अपनी बाइक दौड़ाता हुआ निकल जाता था। फिर एक दिन वृद्ध बीमार होकर खटिया पर लेट गए। लगने लगा कि वो बस चंद दिनों के मेहमान है। वृद्ध को अस्पताल में भर्ती करवाने में राजू मुख्य मददगार था। ये बाय और कि उसे तीमारदारी से कोई सरोकार नहीं था। तीन दिनों बाद, वृद्ध दुनिया छोड़ गए। राजू कंधे देने वालों में सबसे आगे था। उसने मृत्यु पश्चात की रस्मों से लेकर भोज तक की सारी व्यवस्थायों में अपनी जी जान लगा दी। आखिर में सभी ने कहा कि राजू जैसे मिलनसार युवा समाज मे विरले ही बचे हैं।

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संतुलन- the balance

संतुलन व्यवस्था का दूसरा नाम हैं। संतुलन तराजू के दोनों सिरों के एक तल पर होने का भाव हैं। जीवन में भी संतुलन का महत्व हम सभी महसूस करते हैं...