जो सब्र मेरा था सुकून,
वो कब्र मेरी बन गया हैं
जिनको चाहा खुद से बढ़के,
वो क़त्ल करके चल दिए
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सरहदे सी पट गयी,
रिश्तों की कब्र सज गयी
छोटे हुए हैं नागवार
बड़ों को बड़ाई तन गयी
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