Tuesday, 26 November 2019

नारी : My Story

ये कोना या वो कोना,
बस एक छुपा हुआ सा भेद भाव,
न जाने कितने अजन्मे क़त्ल,
न जाने कितने गूढ़ रहस्य दफ़न,
कारण बस इतना सा की, मैं नारी हूँ,
मानो हर कदम बस, मैं हारी हूँ.

हूँ किस जीवन की मैं अधिकारी,
सुन्दर नहीं हैं इसकी कहानी,
कुछ खुश हूँ या आनंदित हूँ,
बस कमाने या खपाने में व्यस्त,
रहती हूँ मानो किराये पर,
सोने की चिरैया नहीं हैं हम,
हम रोती सी चिरैया, अनसुनी भर.


जिंदगी हमारी की बस यही हैं कहानी,
जिंदगी हमारी बस बेमानी,
हर दर पर बस व्यापार भर,
हर कोई चाहे सुन्दर रूप, गुण, लक्षण
हम यहीं देने भर तैयार हैं हर पल.

सोचती हूँ,
क्यूँ परियां केवल स्वर्ग तक सीमित,
क्यूँ धरती पर उनका हैं प्रतिबंधन,
क्यूँ नारी शिक्षा की अधिकारिणी नहीं,
क्यूँ ये आज भी मजबूत कन्धा नहीं,
क्यूँ ये जन्मने के लिए भी मोहताज.

बूँद बूँद से भरता हैं घड़ा,
न भर सकता ये ओसों से,
है मानस मन जाग जा अब भी,
क्यूँ खोता स्वर्ग विचरने से.


संतुलन- the balance

संतुलन व्यवस्था का दूसरा नाम हैं। संतुलन तराजू के दोनों सिरों के एक तल पर होने का भाव हैं। जीवन में भी संतुलन का महत्व हम सभी महसूस करते हैं...