Friday, 2 February 2018

ऊंचाइयां- The Destination of loneliness

ऐ खुदा मुझ को अब,
ऊचाइयां देना नहीं,
बरकत अदा करना बस,
मुझे,आफताब करना नहीं।

ऊँचें पहाड़ों पर भी,
बस बर्फ होती है जमा,
हरियाली होती नहीं वहां,
निर्जनता बसती केवल वहां।

ऊँचें खजूर की अपनी व्यथा,
छाया तक मिलती नहीं यहाँ,
फल का पता तो कुछ नहीं,
टकराती हवा भी देती डरा।

संतुलन- the balance

संतुलन व्यवस्था का दूसरा नाम हैं। संतुलन तराजू के दोनों सिरों के एक तल पर होने का भाव हैं। जीवन में भी संतुलन का महत्व हम सभी महसूस करते हैं...