जी एस टी आज भारत में सबसे ज्यादा चर्चित और कौतूहल का विषय हैं। सरकार ने भी जी एस टी को आज़ादी के बाद के सबसे बड़े कर सुधार के रूप में प्रस्तुत कर इसके प्रति लोगों की उत्सुकता को मानो पर लगा दिए हैं। वैसे भी भारत देश में नागरिक अनगिनत टैक्सों के जाल से घिरा सा हुआ था। इस माहौल में एक देश एक टैक्स टैगलाइन ने विगत एक महीने में लगभग हर मन पर दस्तक दे दी हैं।
जी एस टी सरकार द्वारा तैयार उस दवाई की पुड़िया की तरह है, जिसे लेने से अनगिनत और दवाई की पूड़ियों से मुक्ति मिल सकती हैं। केंद्र सरकार अभी तक अलग अलग वस्तुओं पर उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त सीमा शुल्क, विशेष अतिरिक्त शुल्क वगैरह वगैरह टैक्स लगाए जाते थे और सेवायों पर सेवा कर लगाया जाता था। वही राज्य सरकारों द्वारा केंद्रीय बिक्री कर, वैट, खरीद कर, मनोरंजन कर, चुंगी, लाटरी टैक्स, प्रवेश कर न जाने कितने ही और टैक्स लगाए जाते थे। इस सब के बाद भी केंद्र एवं राज्य सरकारों के और सेस या अधिभार भी लागू होते थे। जी एस टी इन सभी का इकलौता विकल्प बन कर सामने आया हैं। अब हर वस्तु और सेवा पर एक टैक्स जी एस टी लगेगा और प्रत्येक वस्तु पर इसकी दर पूरे भारत मे एक ही रहेगी। अतः यह टैक्स सम्पूर्ण भारत को एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार के रूप में स्थापित कर देगा और दोहरे कराधान की समस्या पर करारी चोट करने का मुख्य औज़ार बनेगा।
जी एस टी प्रक्रम में तय पांच दरों 0%, 5%, 12%, 18% एवं 28% ने आम उपभोक्ता पर कारों के बोझ में कमी का रास्ता प्रशस्त किया हैं। वर्तमान की तरह ही जी एस टी प्रक्रम में भी एक्सपोर्ट यूनिट्स के लिए विशेष सुविधाएं बानी रहेगी। एक्सपोर्ट आइटम पर देश के अंदर लगे हुए सभी टैक्स का रिफंड देने की सुविधा दी गयी हैं। आयात के मामले में भी आयातित वस्तु पर सीमा शुल्क के अलावा उतना ही जी एस टी लगेगा जितना जी एस टी उस वस्तु के लिए भारत में नियत किया गया हैं। जी एस टी प्रक्रम में सभी व्यवसायियों चाहे वो व्यापारी हो या उत्पादक सभी को एक ही तरह की टैक्स प्रक्रिया करनी पड़ेगी। उसमे भी 20 लाख से ज्यादा टर्नओवर वाले व्यवसायियों को ही जी एस टी रजिस्ट्रेशन कराने एवं टैक्स देने की आवश्यकता है।
जी एस टी में हर व्यवसायी को महीने में एक बार रिटर्न भर कर टैक्स चुकाना होगा। चूँकि रिटर्न भरने की प्रक्रिया पूर्णतः ऑनलाइन हैं, अतः किसी भी माल या सेवा के ऊपर जो भी टैक्स लगता है उसमें खरीदारी पर लगा हुआ टैक्स का इनपुट टैक्स क्रेडिट स्वतः ही व्यापारी को मिल जाता है। जी एस टी नेटवर्क के द्वारा दी गई एक्सेल शीट में हिसाब रख कर, इसे सीधे एक ऑफलाइन टूल की सहायता से रिटर्न में बदला जा सकता हैं।
जो व्यापारी अपना सामान सीधा उपभोक्ता को बेचता है तो उसे केवल सामान की दर सहित टर्नओवर दिखाना होगा। और यदि कोई व्यापारी जिसका टर्नओवर 50 लाख तक है वो कम्पोजीशन स्कीम का फायदा उठा सकता हैं जिसके तहत उसे तीन महीने में कुल टर्नओवर दिखाते हुए रिटर्न भरना होगा। लेकिन जो व्यापारी दूसरे व्यापारी को माल बेच रहा हैं, उसे बिक्री के हर इनवॉइस की जानकारी रिटर्न में देनी होगी। व्यापारी से व्यापारी माल बिक्री के व्यवस्था में इनपुट टैक्स क्रेडिट रिवर्सल यानी व्यापारी को मिली इनपुट टैक्स क्रेडिट को लौटाने की व्यवस्था भी दी गयी हैं।
जी एस टी टैक्स व्यवस्था चूंकि पूर्णतया ऑनलाइन हैं, अतः यह एक पारदर्शी व्यवस्था हैं। यह भारत की अर्थव्यवस्था के शुद्धिकरण का एक महत्वपूर्ण औज़ार साबित हो सकती हैं। इस प्रक्रम के साथ साथ हमे भी अपने प्रत्येक व्यापारिक गतिविधि के निष्पादन में शुद्धि बरतनी चाहिए, तभी हम जी एस टी का पूर्ण लाभ फलित होते हुए देख पाएंगे।
जी एस टी सरकार द्वारा तैयार उस दवाई की पुड़िया की तरह है, जिसे लेने से अनगिनत और दवाई की पूड़ियों से मुक्ति मिल सकती हैं। केंद्र सरकार अभी तक अलग अलग वस्तुओं पर उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त सीमा शुल्क, विशेष अतिरिक्त शुल्क वगैरह वगैरह टैक्स लगाए जाते थे और सेवायों पर सेवा कर लगाया जाता था। वही राज्य सरकारों द्वारा केंद्रीय बिक्री कर, वैट, खरीद कर, मनोरंजन कर, चुंगी, लाटरी टैक्स, प्रवेश कर न जाने कितने ही और टैक्स लगाए जाते थे। इस सब के बाद भी केंद्र एवं राज्य सरकारों के और सेस या अधिभार भी लागू होते थे। जी एस टी इन सभी का इकलौता विकल्प बन कर सामने आया हैं। अब हर वस्तु और सेवा पर एक टैक्स जी एस टी लगेगा और प्रत्येक वस्तु पर इसकी दर पूरे भारत मे एक ही रहेगी। अतः यह टैक्स सम्पूर्ण भारत को एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार के रूप में स्थापित कर देगा और दोहरे कराधान की समस्या पर करारी चोट करने का मुख्य औज़ार बनेगा।
जी एस टी प्रक्रम में तय पांच दरों 0%, 5%, 12%, 18% एवं 28% ने आम उपभोक्ता पर कारों के बोझ में कमी का रास्ता प्रशस्त किया हैं। वर्तमान की तरह ही जी एस टी प्रक्रम में भी एक्सपोर्ट यूनिट्स के लिए विशेष सुविधाएं बानी रहेगी। एक्सपोर्ट आइटम पर देश के अंदर लगे हुए सभी टैक्स का रिफंड देने की सुविधा दी गयी हैं। आयात के मामले में भी आयातित वस्तु पर सीमा शुल्क के अलावा उतना ही जी एस टी लगेगा जितना जी एस टी उस वस्तु के लिए भारत में नियत किया गया हैं। जी एस टी प्रक्रम में सभी व्यवसायियों चाहे वो व्यापारी हो या उत्पादक सभी को एक ही तरह की टैक्स प्रक्रिया करनी पड़ेगी। उसमे भी 20 लाख से ज्यादा टर्नओवर वाले व्यवसायियों को ही जी एस टी रजिस्ट्रेशन कराने एवं टैक्स देने की आवश्यकता है।
जी एस टी में हर व्यवसायी को महीने में एक बार रिटर्न भर कर टैक्स चुकाना होगा। चूँकि रिटर्न भरने की प्रक्रिया पूर्णतः ऑनलाइन हैं, अतः किसी भी माल या सेवा के ऊपर जो भी टैक्स लगता है उसमें खरीदारी पर लगा हुआ टैक्स का इनपुट टैक्स क्रेडिट स्वतः ही व्यापारी को मिल जाता है। जी एस टी नेटवर्क के द्वारा दी गई एक्सेल शीट में हिसाब रख कर, इसे सीधे एक ऑफलाइन टूल की सहायता से रिटर्न में बदला जा सकता हैं।
जो व्यापारी अपना सामान सीधा उपभोक्ता को बेचता है तो उसे केवल सामान की दर सहित टर्नओवर दिखाना होगा। और यदि कोई व्यापारी जिसका टर्नओवर 50 लाख तक है वो कम्पोजीशन स्कीम का फायदा उठा सकता हैं जिसके तहत उसे तीन महीने में कुल टर्नओवर दिखाते हुए रिटर्न भरना होगा। लेकिन जो व्यापारी दूसरे व्यापारी को माल बेच रहा हैं, उसे बिक्री के हर इनवॉइस की जानकारी रिटर्न में देनी होगी। व्यापारी से व्यापारी माल बिक्री के व्यवस्था में इनपुट टैक्स क्रेडिट रिवर्सल यानी व्यापारी को मिली इनपुट टैक्स क्रेडिट को लौटाने की व्यवस्था भी दी गयी हैं।
जी एस टी टैक्स व्यवस्था चूंकि पूर्णतया ऑनलाइन हैं, अतः यह एक पारदर्शी व्यवस्था हैं। यह भारत की अर्थव्यवस्था के शुद्धिकरण का एक महत्वपूर्ण औज़ार साबित हो सकती हैं। इस प्रक्रम के साथ साथ हमे भी अपने प्रत्येक व्यापारिक गतिविधि के निष्पादन में शुद्धि बरतनी चाहिए, तभी हम जी एस टी का पूर्ण लाभ फलित होते हुए देख पाएंगे।