आज एक और विशिष्ट वित्तीय वर्ष ख़त्म हो रहा है। विशिष्ट इसलिये की, इस वर्ष विमुद्रिकरण से लेकर जी एस टी विधेयक समेत न जाने कितनी घोषणाएं हुई। एक शाम तो अचानक ही सब की धड़कने सी रूक गयी, जब माननीय प्रधानसेवक मोदीजी ने मध्यरात्रि से पांच सौ और एक हज़ार रुपये के नोट बंद करने की घोषणा कर डाली। किसी भी वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर सभी अपने आय व्यय के चिट्ठे लेकर बैलेंस शीट बनाने के भागीरथ प्रयास में लग जाते हैं। मैं भी अपने पुराने साल भर के चिट्ठे पत्रे खंगाल रहा थी की यकायक ख्याल आया। इस जिंदगी में भी हम रोज न जाने कितने आचार व्यवहार करते है। पर क्या कभी हमने सोचा है कि इसकी भी बैलेंस शीट बनानी चाहिए। पता नहीं जिंदगी के मामले में हम सब कुछ हमारे ऑडिटर एवं इंस्पेक्टर चित्रगुप्त एवं यमराज जी पर कैसे छोड़ देते हैं। जिंदगी में हम अपने मद में न जाने कितने एसेट खो देते हैं, न जाने कितने रिश्तों की पूंजी गँवा देते हैं, न जाने कितनी बिमारियों को घर कर लेते हैं , और शायद की कुछ मित्रों, संबंधों को जमा कर पाते है, बचा पाते हैं। ये चक्र अनगिनत बार चलता रहता है, बिना किसी बैलेंस शीट के बनाये। जिंदगी में बैलेंस शीट न बनाने और मध्यवर्ती या वार्षिक आकलन न करने के कारण, अंतिम चरण में अपने आप को ठगा सा खड़ा पाते हैं। काश हम जिंदगी में भी वार्षिक आकलन का नियम बना ले। मित्रों, संबंधों के डेबिट को बचाने के प्रयास करे, उन्नति,स्वास्थ्य, व्यवहार के एसेट्स को बचाने और नित निरंतर बढ़ाने का प्रयास करें। व्यापार में भी अनगिनत बार ऐसे लम्हे आते हैं जब हमारे निर्णयों के मनचाहे परिणाम नहीं आते है और हानि भी होने लगती है पर तब बैलेंस शीट हमें अपने निर्णयों के परिणाम से आगाह करती हैं और हम अपने निर्णयों में फेर बदल कर बैलेंस शीट को दुरुस्त करने के प्रयास में लग जाते हैं। जिंदगी में भी न जाने कितने उतार चढ़ाव आते है, जिनके अनुरूप हम निर्णय लेकर आगे बढ़ जाते हैं, जिनके परिणाम आते है और हम उन्हें अनदेखा कर जिंदगी की उधेड़ बुन में आगे लग जाते हैं, बिना उस परिणाम का आकलन किये बिना। छोटे नयी सोच के पंखों से उड़ते हुए बिना बैलेंस शीट बनाये बड़ों के संस्कारों को दरकिनार करके आगे बढ़ते जाते हैं, तो बड़े अपनी पुरानी सोच को ही एकमात्र सत्य मान कर छोटों को खोते चले जाते हैं। काश चित्रगुप्त एवम यमराज जी, जिंदगी में भी वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को अनिवार्य कर दे। और शायद हमारी जिंदगी ज्यादा परिपूर्ण हो सके।
Friday, 31 March 2017
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